कब कैसे कहाँ
वो इस कदर बड़ी
के पता ही न चला
मुझे लांघ कर बढी
साल पर साल आएंगे
गिनतियाँ चाहे कितनी
उम्र का क्या है बढ़ना
ये तो सालों साल का है
ज़िन्दगी ज़िंदादिली से
जियो खवाब सजाओ
और बस हासिल करो
जीवन में ऐसा कुछ नहीं
जो न कर सको तुम
बन जाओ उस परिंदे जैसे
जो ऊँची उड़ान उड़े और
जब शाम का वक़्त हो
तो घर लौटना न भूलें
खुशियों का खज़ाना
रहे तुम्हारे पास बस ये
तोहफा औरों को भी देना
सलामत रहो तुम यही दुआ
जन्मदिन की शुभकामना !
~ फ़िज़ा
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