Tuesday, April 02, 2019

ज़मीन और बादलों का मिलन देखो


ख्वाबों की कश्ती पर सवार 
लहराते गोते खाते हुए पतवार 
थिरकते उड़ते हवा से बातें करते 
किसी हलके से रुमाल की तरह 
समाने लगे पहाड़ों से दरख्त से होकर 
उसे कोई न दे सका आसरा हवे पर 
ख़ुशी - ख़ुशी लोट गए सब ज़मीं पर 
ज़मीन ने कमीं न की उनके सत्कार में 
यूँ देखते हो गए एक, हसीं वादियां 
ज़मीन और बादलों का मिलन देखो 
इंसान-इंसान से न मिल पाए ऐसे 
अफ़सोस फ़ज़ा दिखा के नमूना हमें 
हमीं न सीख पाए अपनों से मिलनसार !

~ फ़िज़ा

No comments:

अम्मा का प्यार

दुःख क्यों होता है ये ऑंसूं क्यों नहीं रुकते  २००५ में मिली थी तुमसे न सोचा कभी  इस कदर स्नेह भर दोगी अपने वास्ते ! पहली मुलाकात और ढेर सारा...