ये वृक्ष




बरसों से देख रहा है 
ये वृक्ष चुप-चाप सब
होनी - अनहोनियों को 
एकमात्र गवाह जो गुंगा है 
न कुछ बोल सकता है 
न रोक सकता है किसीको  
केवल देख सकता है 
अपनी खुली आँखों से 
न्याय और अन्याय 
सब देखके गुज़रे कल की 
कुछ कहती है झुर्रियां 
सुनाती है ये कहानी 
बरसों से देख रहा है 
ये वृक्ष चुप-चाप सब!

~ फ़िज़ा 

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