कब होगी वो सुबह...
एक वक़्त ऐसा भी होता था
जब सुबह का इंतज़ार रहता
अब डर लगता है के सुबह हो
तो जाने क्या खबर सुन ने मिले
ज़िन्दगी अप्रत्याशित हो चली है
कोवीड महामारी ने सभी को
असहाय लाचार बेबस मायूस
दूभर कर दिया जीना सभी का
सुरक्षा उसका पालन करने से
कतराते वक़्त आते-आते देखो
जाने-अनजाने लोग गुज़र गए
बिना इलाज़ ही मृत्यु हो गयी
अनगिनत जवान-बूढ़े लोगों की
ये दृश्य सपने में भी न देखा कभी
ऐसा भयानक समय कब थमेगा ?
कब होगी वो सुबह जब ये न होगा ?
~ फ़िज़ा
Comments
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 26-04 -2021 ) को 'यकीनन तड़प उठते हैं हम '(चर्चा अंक-4048) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
Abhar!
आपका तो नाम ही फिजां है, तो फिक्र क्या? फिजां बदलते वक्त नहीं लगता।
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति हेतु साधुवाद आदरणीया। ।।।
@Onkar ji bahut shukriya rachana ko sarahane ka , Abhar!