आज कहने को सुनने को
क्या रहा जब खबर सब
एक जैसी ही आ रही हो
जहाँ युद्ध में योद्धा लड़ते
आज हर कोई सैनिक बन
एक-दूसरे को सहारा दे रहा
वीर हैं वो जो अपना नहीं पर
कोविद-ग्रस्त मरीज़ों का सोचें
रिश्तेदारों को हटाकर खुद ही
क्रियाकर्म कर उनको विधि से
मुक्त कर रहे हैं
लड़खड़ाते हैं मेरे लफ्ज़ आज
इंसानियत और हैवानियत को
मुकाबला करते देख !
~ फ़िज़ा
2 comments:
सच लिखा है आपने।
हार्दिक शुभकामनाएँ। ।।।
@पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा Ji : shukriya houslaafzayee ka , Abhar!
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