Thursday, April 29, 2021

करुणा


 

आज कहने को सुनने को 

क्या रहा जब खबर सब 

एक जैसी ही आ रही हो 

जहाँ युद्ध में योद्धा लड़ते 

आज हर कोई सैनिक बन 

एक-दूसरे को सहारा दे रहा 

वीर हैं वो जो अपना नहीं पर 

कोविद-ग्रस्त मरीज़ों का सोचें 

रिश्तेदारों को हटाकर खुद ही 

क्रियाकर्म कर उनको विधि से 

मुक्त कर रहे हैं 

लड़खड़ाते हैं मेरे लफ्ज़ आज 

इंसानियत और हैवानियत को 

मुकाबला करते देख !


~ फ़िज़ा 

2 comments:

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा said...

सच लिखा है आपने।
हार्दिक शुभकामनाएँ। ।।।

Dawn said...

@पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा Ji : shukriya houslaafzayee ka , Abhar!

करो न भेदभाव हो स्त्री या पुरुष !

  ज़िन्दगी की रीत कुछ यूँ है  असंतुलन ही इसकी नींव है ! लड़कियाँ आगे हों पढ़ाई में  भेदभाव उनके संग ज्यादा रहे ! बिना सहायता जान लड़ायें खेल में...