काश!
काश!
काश जब वो पहली बार चिल्लाकर
बात कर रहा था तब रोक लेती उसे
या हाथ उठाकर मारने आया तभी
उसकी मर्ज़ी और मेरी एक नहीं थी
शायद, मुझे जान लेना चाहिए था
की उसका ग़ुस्सा ठीक नहीं है या
उसका तरीका और उसकी सोच
सही नहीं है मेरे हित के लिए काश
काश मैं तब संभल गयी होती तो
मुझे यूँ फ़ना नहीं होना पड़ता था
जान लेना था लोग तमाशा पसंद हैं
अपनी रक्षा आप स्वयं करना है
काश! ये जान लेती और उस पर
भरोसा न कर अपने पर भरोसा
ज्यादा करती तो शायद मैं उन
वीडियो और कैमेरा में सबूत
बनकर नहीं रहा जाती काश!
काश! ये दुनिया जीवन और
उसका का मेहत्व जान पाती
किसी स्त्री पर हाथ उठाने से पहले
उन्हें उनकी अपनी माँ नज़र आती
काश! काश ! काश!
~ फ़िज़ा
Comments
चैत्र नववर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🙏🌹
Abhar!
Vishvamohan ji bahut bahut shukriya
Abhar!
Sangeet ji dhanyavaad,
Abhar!
Dr. Sharad ji bahut shukriya aur aap ko chi navvarsh ki shubhkamanayein
Abhar!