आज का दिन कैसा गुज़रा ये सोचना सही
मगर खोये वक्त को याद करना कितना सही?
रोज़-रोज़ ये सोचना आज ये करना है आज वो
रोज़ वक्त गुज़र जाने के बाद सोचना कितना सही?
आलस की हवा गुज़र रही है आजकल यहाँ-वहां
बड़े-बड़े काम करने की प्रतिबद्धता कितना सही ?
जीना मरना एक समान ये जीवन का खेल
मगर बची ज़िन्दगी तनाव में बिताना कितना सही?
प्रोत्साहन और उसकी प्रतिक्रिया सभी अच्छा है
ऐसा भी प्रोत्साहन जो आराम न दे कितना सही ?
~ फ़िज़ा
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