Friday, April 02, 2021

शहर

 



मेरा शहर जाने क्यों 

आज भी बरसों बाद 

नाम कहा सुना जाए तो 

दिल में एक अपना सा 

एक अपने हक़ से जुड़ा 

वो शहर जहाँ बचपन 

लड़कपन से जवानी तक 

आज भी गलियां सड़कें 

मानों राह तखतीं हो जैसे 

वाहनों से लेकर इंसान 

सभी के चेहरे नज़र आते 

अमृता प्रीतम के शहर से 

बिलकुल अलग मेरा शहर 

जैसे दिल एक पल के लिए 

जाना चाहे वहीं फिर एक बार 

बस एक बार फिर सबकुछ 

वैसा उस शहर सा हो जाये 

मेरा शहर जो अब बदल गया !


~ फ़िज़ा  


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