Monday, April 30, 2018

चंद यादों के बगुले ...!

मुझे घेर रही हैं
चंद यादों के बगुले
कभी बहुत दूर तो
कभी बहुत करीब
करते हैं भावुक कभी
तो करते उत्सुक मुझे
बढ़ जातीं हैं आकांशा
जब जाते गहराई में  
खो देते हैं आज मेरा
जुड़ जाते हैं बगुले संग
उड़ान भरने जग सारा
आहट ने दस्तख दिया  
रूबरू आज से हुआ  
मुझे घेर रही हैं
चंद यादों के बगुले
कभी बहुत दूर तो
कभी बहुत करीब !

~ फ़िज़ा 
#happypoetrymonth

1 comment:

Jazz_baaatt said...

Bahut khoob

खुदगर्ज़ मन

  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है  अकेले-अकेले में रहने को कह रहा है  फूल-पत्तियों में मन रमाने को कह रहा है  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है ! ...