यादों की बारात कुछ यूँ निकले...!


यादों की बारात कुछ यूँ निकले
बरसों भुलाये किस्से चले आये
वो पल जब इतने बड़े शहर में
अकेले नौकरी ढूंढ़ने हम निकले,
चारों तरफ मायूसी के आसार निकले !
रात भर बाइबिल से किस्से निकले
उसके बाद प्रार्थनाओं के लगे मेले
हर बात पर यीशु के गुणगान मिले
धर्म बदलने के और उसके फायदे सुने
हर कोई अपनी जेबें भरने में तुले !
वो पल भी आया जब सौदे होने लगे
यीशु के गुणगान को अनेक भाषाओँ में लिखें
वक्त मिलने पर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाएं
रसोई में साफ़-सफाई और सब्जियां काटें
किराया देकर भी नौकरों सा काम करवाएं !
ऐसा भी एक पल था जब लोग हम से मिले
सूरत पर लिखवा के आये थे जो चाहे करलें
अच्छाई करने और नेक रहने की सज़ाएं मिले
घिसे बहुत पापड़ वक़त के रहे हमेशा सताए
एक चीज़ नहीं खोयी कभी हौसला बचाये रखे !

~ फ़िज़ा  
#happypoetrymonth

Comments

Popular posts from this blog

हौसला रखना बुलंद

उसके जाने का ग़म गहरा है

दिवाली की शुभकामनाएं आपको भी !