Sunday, April 22, 2018

धुप - छाँव



धुप - छाँव
सूखा - गीला
हरा - भरा
काला - नीला
मीठा - खट्टा
अच्छा - बुरा
ऐसा ही होता है
ज़िन्दगी का गाना
सुबह - शाम
रात - दिन
अँधेरा - उजाला
हँसना  - रोना
बोलना - रूठना
यही है अब तो
रहा अफसाना
चलो ज़िन्दगी को
आज़माके देखें
वैसे भी यहाँ 
आज हैं - कल नहीं
ये भी है बेगाना !
~ फ़िज़ा 
#happypoetrymonth

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