तड़पता है दिल किसी को देख के
कोई माने या न माने दुख होता है !
कभी चाहा नहीं जानकार क्रूरता
अनजाने में ही ग़लती हो जाती है !
दर्द होता है सीने में मेरे भी मगर
कैसे इज़हार करूँ जब मानोगे नहीं !
किसे सज़ा दे रहे हो ये जानते नहीं
प्यार करते हैं तभी तो दुखता है दिल !
क्यों बैर द्वेष से जीना है ज़िन्दगी
जब कुछ पल की ही है ज़िन्दगी !
जो कहो करने के लिए है तैयार फ़िज़ा
सब छोड़कर बस हुकुम तो करो ज़रा !
~ फ़िज़ा
कोई माने या न माने दुख होता है !
कभी चाहा नहीं जानकार क्रूरता
अनजाने में ही ग़लती हो जाती है !
दर्द होता है सीने में मेरे भी मगर
कैसे इज़हार करूँ जब मानोगे नहीं !
किसे सज़ा दे रहे हो ये जानते नहीं
प्यार करते हैं तभी तो दुखता है दिल !
क्यों बैर द्वेष से जीना है ज़िन्दगी
जब कुछ पल की ही है ज़िन्दगी !
जो कहो करने के लिए है तैयार फ़िज़ा
सब छोड़कर बस हुकुम तो करो ज़रा !
~ फ़िज़ा
#happypoetrymonth
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