Thursday, April 26, 2018

कब होगा इंसान आज़ाद?

उसका सिर्फ पहनावा ही था
जो उसे किसी राज्य से
किसी जाती से
तो किसी धर्म से
किसी खास वर्ग से
होने का पहचान दें गयी !
पास बुलाकर जब
नाम पुछा तो
सब कुछ उथल-पुथल
तुम? हिन्दू?
या फिर मुस्लमान
हिन्दू से ब्याही ?
या फिर कहीं तुम
झूठ तो नहीं बोल रही?
इंसान कितने ही
आडम्बररुपी ज़ंजीरों से
बंधा है और असहाय है
कब होगा इंसान आज़ाद?
इन सब से, आखिर कब?

~ फ़िज़ा 
#happypoetrymonth

1 comment:

Jazz_baaatt said...

Bahut khoob

Garmi

  Subha ki yaatra mandir ya masjid ki thi, Dhup se tapti zameen pairon mein chaale, Suraj apni charam seema par nirdharit raha, Gala sukha t...