उसका सिर्फ पहनावा ही था
जो उसे किसी राज्य से
किसी जाती से
तो किसी धर्म से
किसी खास वर्ग से
होने का पहचान दें गयी !
पास बुलाकर जब
नाम पुछा तो
सब कुछ उथल-पुथल
तुम? हिन्दू?
या फिर मुस्लमान
हिन्दू से ब्याही ?
या फिर कहीं तुम
झूठ तो नहीं बोल रही?
इंसान कितने ही
आडम्बररुपी ज़ंजीरों से
बंधा है और असहाय है
कब होगा इंसान आज़ाद?
इन सब से, आखिर कब?
~ फ़िज़ा
जो उसे किसी राज्य से
किसी जाती से
तो किसी धर्म से
किसी खास वर्ग से
होने का पहचान दें गयी !
पास बुलाकर जब
नाम पुछा तो
सब कुछ उथल-पुथल
तुम? हिन्दू?
या फिर मुस्लमान
हिन्दू से ब्याही ?
या फिर कहीं तुम
झूठ तो नहीं बोल रही?
इंसान कितने ही
आडम्बररुपी ज़ंजीरों से
बंधा है और असहाय है
कब होगा इंसान आज़ाद?
इन सब से, आखिर कब?
~ फ़िज़ा
#happypoetrymonth
1 comment:
Bahut khoob
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