Tuesday, April 24, 2018

श्याम की मखमली चादर



श्याम की मखमली चादर,
जैसे ही उसने बिछाई,
हल्का सा सुनेहरा रंग,
हर तरफ लहराई,
पंछियों को घर की याद आयी,
देर-सवेर दिन ढलती नज़र आयी,
सूरज का गोला झाड़ियों से,
मानों जाने की इजाज़त मांगता हो,
अपने आस-पास परछाइयों से
अलविदा कहता हुआ चलने लगा,
हर प्राणी को रात का एहसास दिलाता,
श्याम की चादर होने लगी काली,
इसी बहाने निशा लेने लगी अंगड़ाई!

~ फ़िज़ा
#happypoetrymonth

No comments:

खुदगर्ज़ मन

  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है  अकेले-अकेले में रहने को कह रहा है  फूल-पत्तियों में मन रमाने को कह रहा है  आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है ! ...