Friday, April 23, 2021

यादों के सफर में


 

मुझे फिर कोई ले चलता है मेरे लड़कपन की ओर 

बातों से तो कभी तस्वीरों से जिज्ञासा बढ़ता कभी 

हालत समझो ज़रा दूर अपने देश से उन दिनों से भी 

कभी सोचूं उसी काल में रहा लूँ ज़रा कुछ पल के लिए 

फिर इस पल की इन दिनों की सोचूं तो फिर क्या करूँ 

काश! पल रुक जाते जब हम चाहते थम जाते वो पल 

फिर उस पल में लौट पाते और फिर से चलते वहां से 

चलते-चलते पहुँचते आज तक देखते कैसा होता सब 

यादों के पल फिर से लड़कपन की ओर खींचते और 

हम उसी लड़कपन में नया कोई निर्णय लेकर चलते  

यूँहीं ज़िन्दगी के ख्वाब आते-जाते देख खुश हो जाते 


~ फ़िज़ा 

4 comments:

जिज्ञासा सिंह said...

बचपन और लड़कपन जीवन की सुंदर यादों का पिटारा होते हैं, उन्हीं सुंदर अनुभूतियों का अहसास कराती खूबसूरत रचना । समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी भ्रमण करें । सादर ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

लड़कपन की ख्वाहिश बरकरार है ... सुन्दर अहसास

रेणु said...

बहुत सुंदर सेहर जी! यादेँ ही वो माध्यम हैं जिनके जरिये हम बीता समय दुबारा जी सकते हैं कुछ पल के लिए! ढेरों शुभकामनाएं आपके लिए! लिखते रहिये ❤🌹🌹🙏🌹🌹

Dawn said...

@yashoda Agrawal ji, aapka behad shukriya meri rachna ko aapke sankalan mein shamil karne ke liye!
Abhar!

@Jigyasa Singh ji aapka bahut shukriya houslaafzayi ka. Aap ke blog par hum pahunch he rahe hain jald :) dhanyavaad, Abhar!


@संगीता स्वरुप ( गीत ) ji, shukriya aapke abhipray ka, dhanyavaad, Abhar!

@ रेणु ji, aapka behad shukriya rachna pasand karne ka aur houslafzayee ka, dhanyvaad
Abhar!

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