चलते ही चले जाना है
यहाँ से वहाँ तक तो
वहाँ से यहाँ तक सभी
सफर ही तो कर रहे हैं
मंज़िल की तलाश में
मंज़िल की ओर कभी
कभी यूँही घूम हो जाने
चलते ही चले जाना है
यहाँ से वहां तक तो।
बादलों का कारवाँ
वहां भी है यहाँ भी
बात वोही ढूंढ़ते हुए
शायद वो जानते हैं
मगर हमारी तलाश
अब भी है ज़ारी यहाँ
वहां भी है भीड़ यहाँ भी
चलते ही चले जाना है
यहाँ से वहां से तक तो
~ फ़िज़ा
2 comments:
Kya baat
Shukriya
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