सितमगर कम न होंगें
मगर हम चुप न रहेंगे
ज़िन्दगी की तल्खियां
तो हमेशा ही साथ होंगे
हौसले मगर कम न होंगे
धुप-छाँव बाढ़ या सूखा
तब भी हर बार निखरेंगे
सतानेवाले कम न होंगे
चाहे रूप अनेक होंगे
रिश्ते बे-रिश्ते भी होंगे
फिर भी मुस्कुराते रहेंगे
खिलते मेहकते रहेंगे !
~ फ़िज़ा
1 comment:
Bohat khoob Usha ji .
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