मेरे इन सभी प्रयासों और जूझने में
कभी किसी का भी प्रोत्साहन नहीं था
हर कोई कहता केशियर की नौकरी
जाने न देना रेस्टोरेंट में खाना तो है
या तो लोग जो है उसमें खुश हैं
नहीं तो फिर कोशिश से ही डरते हैं
मेरी मुसीबत मेरी बोरियत तो थी ही
मगर पढ़ाई करके उसके अनुसार
नौकरी नहीं तो फिर क्या चुनौती
क्या नया कुछ सीखना या सीखाना
ज़िन्दगी दूभर लगने लगी और मायूस
अपने आपको चुनौती देना जोखिम उठाना
ज़िन्दगी को रोज़ नए सिरे से महसूस करना
शायद मेरे लिए ऐसा जोखिम उठाना ज़िन्दगी है
महिला संग अच्छे - बुरे सब दिन बीते
फिर वो दिन भी आया जब महिला को
हमारे भविष्य उन्मुख होने पर नाराज़गी
कुल मिलाके साढ़े तीन महीनों के बाद
महिला ने अपना घर देखने के लिए कहा
यहाँ तक की खुद हमें एक जगह ले गयीं
घर किराये पर लेने के लिए २०० डॉलर दिए
महिला को यकीन नहीं था हम निकालेंगे
एक तो नौकरी ऐसी के न्यूनतम तनख्वा
ऊपर से २०० डॉलर लेकर भाग गए वो
फ़ोन लगाकर देखा, वहां जाकर देखा
कुछ नहीं हुआ आज तक नहीं समझे
महिला ने क्यों हमें जबरदस्ती वहां ले गई
इन सब बातों से वैसे वैसे ही जी कड़वा था
इस बीन प्रशिक्षण शुरू हुआ और हमने
मोवेनपिक को अलविदा कहा,
कुछ लोग मेरे लिए परेशां थे क्या होगा मेरा ?
तो कुछ लोगों को लगा निडर है
खैर, ज़िन्दगी में जोखिम तो उठाना पड़ता ही है
वर्ना क्या हासिल होता है ?
~ फ़िज़ा
No comments:
Post a Comment