ज़िन्दगी पादरी के बिना अच्छी गुज़र रही थी
सप्ताहांत मैं भी नौकरी करके देर रात घर आती
काम करने वाले दिन घर के काम ट्यूशन देती
शाम को पादरी के बेटी संग ER कार्यक्रम देखती
वो भी चादर के अंदर मिनी-टेलीविज़न को छुपाकर
पेंटेकोस्टल धर्म में टीवी देखना नाच-गाना हराम है
बेटी अच्छा गाती है सिर्फ येशु के गीत की इजाज़त है
सभी अपने सपने पूरे करने के चक्कर में जी रहे हैं
यमुना से बात होती हफ्ते भर की थकान मिटती तब
ज़िन्दगी अच्छी गुज़र रही थी के पादरी भारत से पहुंचे
जिस दिन आये उसी दिन अनुवाद का विवरण लेने लगे
ज्यादा खुश नहीं थे वो मुझ से मेरे अनुवाद की प्रगति से
रविवार का दिन था और मैं काम से घर पर देर रात आयी
याद आया टॉम सुबह मलेशिया जाने वाला था काम से
सर में दर्द की वजह से दवाई खा कर मैं सो गयी थी
सुबह के तीन बजे पादरी ने दरवाजा खटखटाया ज़ोर से
उठ नहीं पायी दवाई के असर से, उठना भी नहीं चाहा
सुबह नौ बजे उठी काम पर जाने तब पादरी वहां आये
बहुत खरी-खोटी सुनाने लगे के टॉम के जाने पर नहीं उठी
सर दर्द और थकान की बात की मॉफी भी मांगी न उठने की
वो बस ऐसे-जैसे-तैसे ताना मारते रहे के मैंने ठीक नहीं किया
सुबह तीन बजे उठकर उनके बेटे के जाते वक़्त प्रार्थना के लिए
नहीं उठकर गयी ये एक बहुत बड़ा अपराध था जो मैंने किया
उसकी सजा उन्होंने देने की ठान भी ली थी जब शाम को लौटी !
~ फ़िज़ा
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