इस बीच थोड़ी मेरी नौकरी की तरफ
केशियर की ज़िन्दगी नोट गिनना नहीं
खाना बनाना, झाड़ू लगाना बर्तन धोना
कई बार लगा इतनी दूर आकर क्या किया
विकसित देश में सोचा डिग्री काम आएगी
यहाँ आप्रवासी को पापड़ बेलने पड़ते हैं
खैर किस्सा एक दिन का ऐसा हुआ
शनिवार का दिन था गर्मी का मौसम
रेस्टोरेंट में पर्यटकों की भीड़ होती थी
कमाई भी बहुत हुई थी उस दिन
हमारे कॅश ट्रे में अमरीकन डॉलर थे
एक ग्राहक को मदत करते वक़्त
पीछे से एक हाथ आया कॅश ट्रे पर
हमने भी उस हाथ को दबोच लिया
उसने झट हाथ में जितने पैसे आये
लेकर फरार होने की कोशिश की
हम कहाँ जाने देते उसे ऐसे पकड़ लिया
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में पले -बढे हैं
यूँही थोड़ी किसी को आसानी से जाने देते
जोश में पकड़ तो लिया था चोर को पीछे से
७ फुट का इंसान और उसकी कमीज हमारे हाथ
हम सिर्फ ५ फुट ४ इंच के मगर जोश कम न था
बहादुरी से चोर को पकड़ा और उसे छोड़ भी दिया
ये भारत देश नहीं जहाँ एक लड़की ने चोर को पकड़ा
तो जनता उसकी मदत करके चोर को सजा दिलाये
कम से कम भारत में एक वक्त ऐसा था जब हम वहां थे
खैर चोर को पकड़कर मैनेजर पीटर को बुलाया पर नहीं आये
तो छोड़ना ही बेहरत समझा क्यूंकि जनता मॉल में
हमें घेरे तमाशा देख रही थी उस वक़्त
हमने चोर से कहा जाओ जी लो ज़िन्दगी
अंदर गए मैनेजर से पुछा आप मदत के लिए नहीं आये
चोर पैसे लेकर भाग गया आप आते तो शायद बच जाते
मैनेजर ने नज़रें न मिलाते हुए कहा, मैं काम में बिजी था
क्या कहें वो तो पास्ता खा रहे थे तब
ज़माना कुछ अजीब है यहाँ हमें पागल कहा गया
खैर पुलिस आयी उन्होंने बात की जांच-पड़ताल
हमारे हाथ में चोर के नाख़ून के निशान थे
पुलिस ने कहा तुम किस्मतवाली हो बच गयी
उसके जेब में बन्दूक होती और तुम पर चलती?
उस दिन एक नया सबक सीखा यहाँ
कुछ भी हो जाये अपनी जान खुद बचानी है
यहाँ कोई नहीं किसी का अपना अपना रास्ता
जब घर पहुंची तो पता चला टीवी पर हम थे
एक बहादुर भारतीय लड़की मरते बची !
~ फ़िज़ा
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