कहाँ जाते हो रुक जाओ
तूफानी रात थम जाने दो
मौसम का क्या है बस बहाना
आने-जाने में यूँ वक़्त न गंवाओ
कहाँ जाते हो रुक जाओ !
बहलता है मन तो बहलने दो
रुका पानी उसे थमने न दो
ये जीवन है चलने वास्ते
स्वस्थ हवा में लहराने दो
कहाँ जाते हो रुक जाओ !
खुलके मिलो बाहर निकलो
ये समां यूँ ही न जाने दो
देखो चाँद वोही है आज भी
प्यार से उसकी तरफ देखो
कहाँ जाते हो रुक जाओ !
बुलाता है मुझे चाँद देखो
अपनी शुष्क बाँहों में खो
बिखेरता है रोमांच देखो
फिर जीने की राह देखो
कहाँ जाते हो रुक जाओ !
~ फ़िज़ा
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