Thursday, May 25, 2017

ऊपर है बादल,उसके ऊपर आसमान


ऊपर है बादल,उसके ऊपर आसमान 
यही है हमारे जीवन का निर्वाण  
बादलों में भी हैं लकीरें खींचीं 
जैसे अपने ही हाथों से है सींची  
लकीरों के बीच झाँकती ज़िन्दगी 
मानो देती हों अंदेशा भविष्य की
कभी धुप की रौशनी में खो जाना 
तो कभी साये में रौशनी को ढूँढ़ना 
ज़िन्दगी की भी है अजब कहानी 
ये हमारे-तुम्हारे सहारे से बनती 
ज़िन्दगी के मज़े यही हैं चखती 
क्यों न बादलों के संग खो जाएं 
आये बरखा तब हम भी बरस जाएं

~ फ़िज़ा 

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