एक घबराहट
कुछ अजीब सा
जैसे पेट में दर्द
जाने क्या हो
कोई अंदेशा नहीं
धड़कन की गति
बेचैन करती
क्यों अंत यहीं हो
मेरा के मुझे
मालूम ही न हो
के किस बात की
थी ये घबराहट !!!
~ फ़िज़ा
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
गुज़रते वक़्त से सीखा है गुज़रे हुए पल, और लोग वो फिर नहीं आते ! मतलबी या खुदगर्ज़ी हो एक बार समझ आ जाए उनका साथ फिर नहीं देते ! पास न हों...
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