एक घबराहट
कुछ अजीब सा
जैसे पेट में दर्द
जाने क्या हो
कोई अंदेशा नहीं
धड़कन की गति
बेचैन करती
क्यों अंत यहीं हो
मेरा के मुझे
मालूम ही न हो
के किस बात की
थी ये घबराहट !!!
~ फ़िज़ा
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
दुःख क्यों होता है ये ऑंसूं क्यों नहीं रुकते २००५ में मिली थी तुमसे न सोचा कभी इस कदर स्नेह भर दोगी अपने वास्ते ! पहली मुलाकात और ढेर सारा...
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