किसी के रहते उसकी आदत हो जाती है
उसके जाने के बाद कमी महसूस होती है !
हर दिन के चर्ये का ठिकाना हुआ करता है
अब जब गए तो राह भटके से ताक रहे हैं !
जब साथ रहते हो तब उड़ जाते हैं हर पल
अब काटते नहीं कटते ठहर गए सब पल !
महसूस हो गया है तुम्हारे रहने और न रहने में
बस इंतज़ार है के कब दीद हो रंगीन फ़िज़ा में !!
~ फ़िज़ा
1 comment:
Wawh sahi kaha
Regards
Paul
Post a Comment