उसने दिल तोड़ने का सबब कुछ ऐसा दिया
न किसी को जीने दिया न ही मरने दिया !
ज्ञानी कभी संभलता है तो संभालता है
मगर अज्ञानी जीने का पथ ढूंढ लेता है !
कहते हैं माफ़ कर देना कठिन है
कहने को तो सब कहते हैं जुग -जुग जियो !
वो खुद डरता था अपने आप से पागल
कहता है मैं शक करती हूँ उसपर !
उसकी हर बात पे औरत का ज़िक्र करना ऐसा
मानो किसी को परेशान करने की साज़िश !
कौन जीता है तेरे सर होने तक ऐ इंसान
ज़िन्दगी किसी की जागीर नहीं होती !
उसकी उदासी छा जाती माहोल में हर पल
जब भी मुझे मुस्कुराते देखता वो हरजाई !
अब लाश है 'फ़िज़ा' मिन्नतें नहीं करती
वक़्त का क्या है जब आये तब ले जाये हमें !!
~ फ़िज़ा
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