Monday, January 25, 2016

गणतंत्र दिवस की सुबह ...


गणतंत्र दिवस की सुबह 
का बेसब्री से इंतज़ार 
बचपन हो या अब 
साज और सोज़ वही 
जस्बा देश-भक्ति का 
जवानों की टोली 
सीना चौड़ा कर 
देश के चोरों को 
सलामी देते हुए 
अश्रु भर आते हैं 
नयनों में के जानकार भी 
चोरों की सत्ता है 
जवान देश के लिए जाँ 
कुर्बान करता है 
दिल भर आता है 
ये आँख बंद करके 
कूद पड़ते हैं 
ऐसी देश-भक्ति 
को मेरा शत-शत प्रणाम 
गणतंत्र दिवस एक 
आँखों में नमी का एहसास 
बहुत देर तक रेह जाती है 
 मन भावुक हो जाता है 
शहीदों को सलाम 
मेरे देश के सेनाओं को 
सलाम!

~ फ़िज़ा 

No comments:

अच्छी यादें दे जाओ ख़ुशी से !

  गुज़रते वक़्त से सीखा है  गुज़रे हुए पल, और लोग  वो फिर नहीं आते ! मतलबी या खुदगर्ज़ी हो  एक बार समझ आ जाए  उनका साथ फिर नहीं देते ! पास न हों...