किसी ने पुछा ख्वाब में आकर
तुम्हें पता चले आखिरी पल है गर
तब तुम क्या करोगे ?
बहुत सोचा क्या करूंगी?
क्या न करूंगी?
फिर यही जवाब आया निकल
जैसे अब जी रही हूँ
वैसे ही जियुंगी आगे भी सनम
पहले भी ज़िंदादिली और अब भी
फर्क इतना है मैं खुश हूँ
मेरी टिकट जल्दी और आपकी बाद में !
पूछनेवाला सोच में पड़ गया
ये कैसा जवाब है? मरने से डर क्यों नहीं?
लपक कर जवाब हलक से निकला
अमर तो कोई नहीं यहाँ पर
आज मैं तो कल तुम
बस जाना सभी को है तो
पहले कोई भी हो जाने का
बस इंतज़ार रहता है
इंतज़ार जो कभी ख़त्म नहीं होता
ऐसा कोई ख़्वाब में आकर
यूँही पूछ बैठा था कल !
~ फ़िज़ा
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