Tuesday, December 22, 2020

एहसास !

 

एहसास !

जो उस पल में रेहने संवरने के ख़ुशी में 

बाकि हर पल को भूल जाने या भुला देने में 

जो शायद उम्र भर फिर हो और 

इस पल के बाद फिर शायद कभी न हो  

इस बात का कोई आसरा न भरोसा हो 

मगर उस पल में सौ बार जीने मरने का 

एहसास !

वही एक पल है जो हर सीमाओं को 

लांघकर तल्लीन रह जाना सिर्फ 

उस एक पल के लिए जो दिला दे वो 

एहसास !

जो शायद लफ़्ज़ों का मोहताज़ नहीं 

जिसे सिर्फ महसूस किया जाये 

ये एक सांस है जो सिर्फ ली जाए 

उस सांस में जी और संभल भी जायें  

एहसास !


~ फ़िज़ा 

11 comments:

कविता रावत said...

कुछ मधुर एहसास कुछ तीखे एहसास

बहुत बढ़िया

दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24.12.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
धन्यवाद

Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल said...

सुन्दर सृजन।

Ravindra Singh Yadav said...

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" (1987...अब आनेवाले कल की सोचो...) पर गुरुवार 24 दिसंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!




Onkar said...

सुन्दर प्रस्तुति

जिज्ञासा सिंह said...

अहसासों से भरी सुन्दर रचना..

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा said...

एहसास !
जो शायद लफ़्ज़ों का मोहताज़ नहीं
जिसे सिर्फ महसूस किया जाये
ये एक सांस है जो सिर्फ ली जाए
उस सांस में जी और संभल भी जायें।।
सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई आदरणीया।

अनीता सैनी said...

वाह!बहुत ही सुंदर.

Dr (Miss) Sharad Singh said...

बहुत सुंदर रचना...

Dawn said...

Aap sabhi ka bahut-bahut shukriya houslafzayee ka. Abhar!!!

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा said...

आदरणीया फिजा जी, इस अच्छी सी कृति हेतु बधाई स्वीकार करें। ।।।।
आगामी नववर्ष की अग्रिम शुभकामनायें। ।।

करो न भेदभाव हो स्त्री या पुरुष !

  ज़िन्दगी की रीत कुछ यूँ है  असंतुलन ही इसकी नींव है ! लड़कियाँ आगे हों पढ़ाई में  भेदभाव उनके संग ज्यादा रहे ! बिना सहायता जान लड़ायें खेल में...