एहसास !

 

एहसास !

जो उस पल में रेहने संवरने के ख़ुशी में 

बाकि हर पल को भूल जाने या भुला देने में 

जो शायद उम्र भर फिर हो और 

इस पल के बाद फिर शायद कभी न हो  

इस बात का कोई आसरा न भरोसा हो 

मगर उस पल में सौ बार जीने मरने का 

एहसास !

वही एक पल है जो हर सीमाओं को 

लांघकर तल्लीन रह जाना सिर्फ 

उस एक पल के लिए जो दिला दे वो 

एहसास !

जो शायद लफ़्ज़ों का मोहताज़ नहीं 

जिसे सिर्फ महसूस किया जाये 

ये एक सांस है जो सिर्फ ली जाए 

उस सांस में जी और संभल भी जायें  

एहसास !


~ फ़िज़ा 

Comments

कुछ मधुर एहसास कुछ तीखे एहसास

बहुत बढ़िया
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24.12.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
धन्यवाद
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" (1987...अब आनेवाले कल की सोचो...) पर गुरुवार 24 दिसंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!




Onkar said…
सुन्दर प्रस्तुति
अहसासों से भरी सुन्दर रचना..
एहसास !
जो शायद लफ़्ज़ों का मोहताज़ नहीं
जिसे सिर्फ महसूस किया जाये
ये एक सांस है जो सिर्फ ली जाए
उस सांस में जी और संभल भी जायें।।
सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई आदरणीया।
वाह!बहुत ही सुंदर.
बहुत सुंदर रचना...
Dawn said…
Aap sabhi ka bahut-bahut shukriya houslafzayee ka. Abhar!!!
आदरणीया फिजा जी, इस अच्छी सी कृति हेतु बधाई स्वीकार करें। ।।।।
आगामी नववर्ष की अग्रिम शुभकामनायें। ।।

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