Wednesday, December 02, 2020

ख़याल से नहीं न वो गए!


 

कुछ दिनों से आ रही थी ख़याल में 

बीती हुई कुछ पलछिन हादसे यादें 

हम सोचते रेह गए बस शायद थोड़ा 

हाँ ! थोड़ा रूककर बात ही कर लेते 

आखिरी बार ही मगर अलविदा सही 

जानते थे के बीमार ज़िन्दगी है कब?

आज अफ़सोस हुआ खबर ये जानकर 

ख़याल आया उन पलों का जब संग थे 

ख़ुशी जो हम दे सके एक-दूसरे को 

शायद अब वो नहीं हैं सोचने के वास्ते 

वो सभी जो सीखा-सिखाया साथ में 

वो सभी अब यादें रेह गयीं मेरे हिस्से में  

अफ़सोस तो हुआ ज़रूर जब सुना के 

वो अब नहीं रहे !!! आज बहुत याद आये !

ख़याल से नहीं न वो गए!


~ फ़िज़ा 

6 comments:

Onkar said...

बहुत सुंदर

Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल said...

सुन्दर रचना।

Sudha Devrani said...

जाने वालों की यादें ही शेष बचती हैं
बहुत सुन्दर सृजन।

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा said...

यादों के झिलमिल आंगन में विचरता मन। अच्छी लगी रचना और आपकी लेखनी।

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा said...

याद जब विवशता बन जाए तो ऐसी रचनाएँ उपजती हैं। बहुत ही सुन्दर।

Dawn said...

Aap sabhi ka bahut bahut shukriya houslafzayee ka !
abhar

करो न भेदभाव हो स्त्री या पुरुष !

  ज़िन्दगी की रीत कुछ यूँ है  असंतुलन ही इसकी नींव है ! लड़कियाँ आगे हों पढ़ाई में  भेदभाव उनके संग ज्यादा रहे ! बिना सहायता जान लड़ायें खेल में...