खिला चाँद गगन में !!!


भीगा मौसम है 
बहारों का गुलशन 
चमन में चहकते 
पंछियों की टोलियां 
भीड़ में सभी तो हैं  
फिर भी अकेला वो 
अकेले हम भी हैं 
बहारों के खिलने से 
मंडराते हैं कुछ भँवरे 
यहाँ खिलता गुलाब है 
मेहकती हुयी खुशबु है 
बस नहीं है कोई तो 
चाँद जो दूर बसा है 
गगन की गोद  में 
बादलों की आड़ में 
सिसकते हम भी हैं 
सिसकता वो भी है 
भीगा मौसम है 
भीगी हर सांसें हैं 
जज़्बात कोहरे में 
खिला चाँद गगन में !!!

~ फ़िज़ा 

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