बदले से केवल होगा विनाश



दिल में न जश्न है न जोश 
कौन जहाँ में मनाता खुशियाँ
अपने ही जैसों को मारकर?
शायद मेरा दिल आज़ाद है 
बंधा नहीं देशों के दायरों में 
इंसान यहाँ भी वहां भी समान 
क्यों न मिलकर -समझकर 
मुश्किलों का निकालें हल 
ज़िन्दगी है जीना जीने का नाम  
जंग से केवल भंग होगा इंसान
दुश्मन लूटेगा मचाएगा नाश 
बदले से केवल होगा विनाश 
न जोश है आज न होश है 
आज!

~ फ़िज़ा 

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