गुलाबों का दिन था
मोहब्बत का समां था
सन्देश प्यार का था
फिर हैवानियत कैसा?
कितना क्रूर होगा वो
वो पल, वो जानवर
पुलवामा में घुसकर
चोरी से ठग कर मारे
देश के जवानों को
विस्फोटों से लथपथ
जवानो की आहूति
जिम्मेदार कौन?
भरपाई करे कौन?
सस्ती है ज़िन्दगी
खून का आदि है
आतंकवाद !
क्यों न करें इस
आतंकवाद का खून?
टूट गया वोही दिल
जो गुलाबों और
मोहब्बत से पाला था
दर्दनाक हिंसा जवानों पर
निंदाजनक हादसा
इसे रोको इसे रोको
बहुत हुआ अब पडोसी का
झगड़ा !
~ फ़िज़ा
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