उसकी एक झलक ही सही ...!
उसकी एक झलक ही सही
चाहे फिर वो हो वर्धमान
या वो हो पूर्णचंद्र बेईमान
दिल से भी और नज़र से भी
झलकते हैं मेरे अरमान
खुश हूँ मैं इसी ख़याल में
वो है और मैं हूँ एक दूसरे के लिए
ज़माना कब किस वक़्त मुकर जाये
नहीं है इसका इल्म अभी नादान
ज़िन्दगी रही न रही सही कभी
जब भी उठाऊँगी नज़र अपनी
रहेगा वो हमेशा चमकता -दमकता
आस देता हुआ बढ़ता मेरा हौसला
रहे यहाँ जहाँ है आसमान !!!
~ फ़िज़ा
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