कुछ रिश्ते नब्ज़ की तरह गहरे
सांस की तरह छिपे नज़र आते हैं
दोस्ती की ये नब्ज़ सिर्फ समझ है
न किसी नाम और किरदार में
वक़्त पड़ने पर हाज़िर होना और
खुशियों में दुआएं देना यही तो था ?
शायद इन्ही वजह से वो नब्ज़ की तरह
गहराई में जा बैठा और फिर
एक हौसला सा रह गया कहीं दिल में
के कोई हो न हो मेरा ये दोस्त हमेशा है
साथ मेरे जो करे सभी का भला
ज़मीन से जुड़ा ये शख्स ले आये
जान अपनी ज़िन्दगी में फिर एक बार
पुकारते हैं तुम्हें - चले भी आओ निद्रा से
बहुत हुआ आराम अब उठो मिलो सभी से
मुझे दिवाली की शुभकामनाएं चाहिए तुमसे !!!
~ फ़िज़ा
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