Sunday, October 30, 2016

जय हिन्द सेनानियों


सुख हो या दुःख हो 
मातम हो या हर्षोउल्लास 
एक सिपाही अपने ही 
सीमा में और पोशाक में 
रहता है और सुरक्षा देता है 
काश हम सब भी ऐसा ही 
अपने घर में और संसार में 
एक ही किरदार इंसानियत का 
निभा सकते !?!

सोचती हूँ तो दर्द बढ़ता है 
तुम्हारे और तुम्हारे परिवार का 
हर बलिदान सर आँखों पर 
हर ख़ुशी और सुखों के पल 
तुम सभी का ऋणी है हर पल 
कह न सके या सुन न सके तो 
दिल की दुआ दिल से यही है 
हमारी ख़ुशी के दो पल आपको 
दुःख के दो पल हमको !?!

जय हिन्द सेनानियों 
तुम इंसान से परे हो 
तभी तो फौलादों की तरह 
सीमा पर खड़े रहते हो 
चट्टानों से लड़कर भी 
हमें उसकी आंच से बचाते हो 
काश हम भी ज़िन्दगी की 
बड़ी हक़ीक़त को जानकर 
तुम सा बन पाते !?!

इस साल की दिवाली के दीये 
तुम्हारे नाम जलाएं चलो साथी 
दुआओं में तुम्हारी सलामती 
सर्व-संपन्न रहे परिवार तुम्हारा 
एक वो पल आये जीवन में तुम्हारे 
जहाँ हम रहे तुम्हारी जगह और 
तुम रहो हमारी जगह साथी 
दुःख और सहनशील क्या है 
पता तो चले हर नागरिक को हमारे !?!

जय हिन्द #Sandesh2Soldiers 

~ फ़िज़ा 

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