दुनिया बड़ी ज़ालिम है
यही कहा था माँ ने
संभलना हर कदम में
यही कहा हरदम माँ ने
कभी अकेले न जाना रस्ते में
कोई बेहला के न ले जाए
गर कोई ले भी गया प्यार से
अपने कदमों में खड़े रहना अपने दम से
ये एक माँ ही केह सकती है बेटी से
गर्व है, सबकुछ तो नहीं सुना माँ का
मगर कुछ बातों का किया पालन
आज हूँ मैं अपने कदमों का बनके सहारा
दे सकूं किसी और को भी सहारा
सर उठाकर जी भी सकूं अकेले
चाहे रहूं मैं नकारा
मेरी माँ थी बढ़ी कठोर बचपन में
शायद मुझे कठोर बनाने के लिए
दिल से रही वो मोम रही पिघलती
रेहती सुबह-शाम फ़िक्र में
समझ न पायी उसकी ये बेचैनी
जब तक मैं न हुई माँ बनके सयानी
माँ का जीवन सदा यही है
मृत्यु तक बच्चों का सौरक्षण
यही है जीवन की कहानी
यही है जीवन की कहानी !
~ फ़िज़ा
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