ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
करो न भेदभाव हो स्त्री या पुरुष !
ज़िन्दगी की रीत कुछ यूँ है असंतुलन ही इसकी नींव है ! लड़कियाँ आगे हों पढ़ाई में भेदभाव उनके संग ज्यादा रहे ! बिना सहायता जान लड़ायें खेल में...
-
औरत को कौन जान पाया है? खुद औरत, औरत का न जान पायी हर किसी को ये एक देखने और छुने की वस्तु मात्र है तभी तो हर कोई उसके बाहरी ...
-
आजकल में जाने क्या हुआ है पन्द्रा -सोलवां सा हाल हुआ है जाने कैसे चंचल ये मन हुआ है बरसात की बूंदों सा थिरकता है कहीं एक गीत गुनगुनाता...
-
तेल अवीव शहर के एक छोटे से बाजार से गुज़रते हुए इस बेंच पर नज़र पड़ी दिल से भरे इस बेंच को देख ख़ुशी हुई तभी किसी ने कहा, - देखा है उस आदमी...
2 comments:
Today this is what I want to say
That in your heart I will squeeze out my blood
Will do such a red like lips
That you dont remain as you and I dont remain as me
Just like the color of blood today I will mix with you
WOW... thanks for putting it thru in English ...you got the core essence of it :)
Thanks!
Post a Comment