ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
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खुदगर्ज़ मन
आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है अकेले-अकेले में रहने को कह रहा है फूल-पत्तियों में मन रमाने को कह रहा है आजकल मन बड़ा खुदगर्ज़ हो चला है ! ...
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जिस बात से डरती थी जिस बात से बचना चाहा उसी बात को होने का फिर एक बहाना ज़िन्दगी को मिला कोई प्यार करके प्यार देके इस कदर जीत लेता है ...
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फिर नया साल आया वोही पुराने सिलसिले मास्क टीके बूस्टर संग उम्मीदों से भरा नया साल कोशिश अब भी वही है खुश रहो, सतर्क रहो नादानी से बच...
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दशहरे के जाते ही दिवाली का इंतज़ार जाने क्यों पूनावाली छह दिनों की दिवाली एक-एक करके आयी दीयों से मिठाइयों से तो कभी रंगोलियों से नए...
2 comments:
Today this is what I want to say
That in your heart I will squeeze out my blood
Will do such a red like lips
That you dont remain as you and I dont remain as me
Just like the color of blood today I will mix with you
WOW... thanks for putting it thru in English ...you got the core essence of it :)
Thanks!
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