उसके ग़ुस्से पर भी प्यार आता है


 

उसके ग़ुस्से पर भी प्यार आता है 

क्यूंकि प्यार जो मुझ से ज्यादा है  !!


उसका पेहल न करना अखलाता है 

मगर मेरे पेहल का इंतज़ार करता है !!


उम्मीद बनाये रखना भी प्यार ही है 

वर्ना पलटकर सोते ही हाथ न पकड़ता !!


खट्टा-मीठा प्यार कश्मीरी चाय जैसे

स्वाद दोनों का मिले इश्क़ हो ज्यादा !!


आज भी नयापन है रिश्ते में बरसों से 

वो गुदगुदाहट जब वो धीमे से मुस्कुरा दे !!


नयी कोपलें नयी चिंगारियाँ अदभुत सा 

नये मौसम में मोहब्बत हौसलेमंद सा !!


~ फ़िज़ा 

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