नये साल की शुरुवात कुछ इस ढंग से मैंने की
प्रकृति के साथ और कुछ युवाओं के संग हुई
कहते हैं पानी में रहकर मगर से न रखो कभी बैर
सोचकर शामिल हुए बच्चों की टोली में करने सैर
जंगलों में करने विचरण प्रकृति से कुछ बतियाने
जीवन की तरह कुछ टेढ़े-मेढ़े मिले रास्ते राह में
बिन मौसम बदलते पलछिन हरियाली झुंड पेड़ों के
फिसलते ओस से लतपत मोड़ छत्रक सजीले छाल
शुष्क हवाओं में सांस लेते हुए खुशगवार ये पल
कैद किये यूँ इस साल फ़िज़ा ने कोरे कागज़ पर
~ फ़िज़ा
8 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 04 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
@ Digvijay Agrawal : आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मेरी रचना को इस तरह सम्मानित करने के लिए
आभार
@अनीता सैनी: आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मेरी रचना को इस तरह सम्मानित करने के लिए
आभार
सुन्दर लेखन
वाह!बहुत खूब !
नव वर्ष मंगलमय हो। सुन्दर सृजन।
बहुत सुन्दर सृजन।
@विभा रानी श्रीवास्तव : आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मेरी रचना को इस तरह सम्मानित करने के लिए
आभार
@शुभा : आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मेरी रचना को इस तरह सम्मानित करने के लिए
आभार
@सुशील कुमार जोशी : आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मेरी रचना को इस तरह सम्मानित करने के लिए
आभार
@Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल : आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मेरी रचना को इस तरह सम्मानित करने के लिए
आभार
सुन्दर सृजन
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