कहीं आग तो कहीं है पानी
प्रकृति की कैसी ये मनमानी
हर क़स्बा, प्रांत है वीरानी
फैला हर तरफ पानी ही पानी
कहीं लगी आग जंगल में रानी
वहीं चाहिए बस थोड़ा सा पानी
मगर प्रकृति की वही मनमानी
संतुलन रहे पर ये है ज़िंदगानी
कहीं लगी है आग तो कहीं पानी
दुआ करें बस ख़त्म हो ये अनहोनी
कभी नहीं देखी-सुनी ऐसी कहानी
कहीं आग तो कहीं है पानी
प्रकृति की कैसी ये मनमानी !
~ फ़िज़ा
प्रकृति की कैसी ये मनमानी
हर क़स्बा, प्रांत है वीरानी
फैला हर तरफ पानी ही पानी
कहीं लगी आग जंगल में रानी
वहीं चाहिए बस थोड़ा सा पानी
मगर प्रकृति की वही मनमानी
संतुलन रहे पर ये है ज़िंदगानी
कहीं लगी है आग तो कहीं पानी
दुआ करें बस ख़त्म हो ये अनहोनी
कभी नहीं देखी-सुनी ऐसी कहानी
कहीं आग तो कहीं है पानी
प्रकृति की कैसी ये मनमानी !
~ फ़िज़ा
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