दूसरों को रौशनी देते हुए
पिघलती हैं मोमबत्तियां
कभी सोचा है, क्या गुज़रती है
क्या सोचती है ये मोमबत्तियाँ?
जल तो परवाना भी जाता है
शम्मा के पास जाते-जाते
मगर मोमबत्ती रौशनी देते-देते
खुद फ़ना हो जाती है
ज़िन्दगी कुछ लोगों की
सिर्फ मोमबत्ती बनकर
रेहा जाती है !
~ फ़िज़ा
पिघलती हैं मोमबत्तियां
कभी सोचा है, क्या गुज़रती है
क्या सोचती है ये मोमबत्तियाँ?
जल तो परवाना भी जाता है
शम्मा के पास जाते-जाते
मगर मोमबत्ती रौशनी देते-देते
खुद फ़ना हो जाती है
ज़िन्दगी कुछ लोगों की
सिर्फ मोमबत्ती बनकर
रेहा जाती है !
~ फ़िज़ा
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