बहारों का मौसम है चाँद कहाँ है आज
बहारों का मौसम है यार कहाँ है आज
छुपकर खेलने वाले अब तो न सता यूँ
दिन ढले आ ही जाते हैं पंछी घोसलों में
इंतज़ार की घड़ियाँ यूँही न बढ़ाओ सनम
शाम के बाद रात भी बहुत देर कहाँ होगी
वक़्त को रोक लें चलो आ भी जाओ यहीं
फिर तुम वर्धमान हों या पूरे चाँद के रूप में
संभाल लेंगे वक़्त को तुम आओ तो सही
बहारों का मौसम है चाँद कहाँ है आज
कहाँ है आज?
~ फ़िज़ा
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