कुछ बात है दिल में एक गुम्बद सा
न निकले बाहर न रहे भीतर सा
सोचूं तो लगे कुछ भी नहीं परेशान सा
फिर भी गहरी सोच पर मजबूर ऐसा
कैसी असमंजस है ये विडम्बना सा
न निकले बाहर न रहे भीतर सा
खोने का न डर न कुछ पाने जैसा
सबकुछ लुटाने की हिम्मत भी दे ऐसा
कुछ बात है दिल में एक गुम्बद सा
न निकले बाहर न रहे भीतर सा
~ फ़िज़ा
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