उसने कहा मैं तुम्हें चाँद तक ले जाऊँगा
हो सके तो अगले जनम तक पीछा करूँगा
उसकी एक धुन पे चलने की सज़ा ये थी
हर ताल पे ता-उम्र चलने की सज़ा मिली
साथ होने का असर यूँ तो देखिये हुज़ूर
हमेशा के लिए कैदी बना दिए गए
बंधी की हालत न पूछो यूँ हमसे
वो इसे मोहब्बत समझते रहे ऐसे
बीते जिस पर वही जाने हैं हाल
बांधकर भी कोई आज़ाद रहता है?
फ़िज़ा
ऐसा था कभी अपने थे सभी, हसींन लम्हें खुशियों का जहाँ ! राह में मिलीं कुछ तारिखियाँ, पलकों में नमीं आँखों में धुआँ !! एक आस बंधी हैं, दिल को है यकीन एक रोज़ तो होगी सेहर यहाँ !
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