समाज के ठेकेदार

 


किसी की अफवाह को हकीकत बनाने लगे 

गुनेहगार होकर भी उंगली उस पर उठाने लगे !


ये देख मौके का फायदा हर कोई उठाने लगे 

जो कभी हुआ नहीं कहानी बनाकर जोड़ने लगे !


समाज के ठेकेदार बनकर औरों को दबाने लगे 

गुनेहगार होकर भी औरों पर लांछन लगाने लगे !


अपनी छोड़ किस हक़ से ये फिक्रमंद होने लगे 

भला तो किया नहीं कभी बदनाम बहुत करने लगे !


~ फ़िज़ा 

Comments

Rupa Singh said…
बहुत खूब।
Sudha Devrani said…
समाज के ठेकेदार बनकर औरों को दबाने लगे

गुनेहगार होकर भी औरों पर लांछन लगाने लगे
कटु सत्य...
बहुत सुन्दर ।
दिगंबर नासवा said…
कड़वा सत्य
Dawn said…
Yashoda ji aapka behad shukriya meri is kriti ko apne sankalan mein pesh karne ki - dhanyavaad aabhar!!!

Rupa ji, aapka bahut bahut dhanyavaad meri is kriti ko padhkar houslafzayi karne ka! dhanyavaad, aabhar!!!

Sudha ji bahut bahut dhanyavaad houslafzayee ka, dhanyavaad, aabhar!!

Digambar ji dhanyavaad is kriti ko padhne ka aur tippani dene ke liye bahut bahut shukriya, aabhar!!!

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