Tuesday, January 23, 2024

तू रुख मोड़ बढ़ जा आगे !


कुछ रिश्ते, कुछ बातें होने के लिए होतीं हैं 

वर्ना यूँही कौन कैसे किसी को समझता?

क्या अच्छा और अच्छा नहीं कैसे समझते?

जब तक हादसे और किस्से न समझाते हमें !

जब आँख खुले तभी सवेरा समझ लेना ठीक 

बेकार सोचने में वक़्त ज़ाया करने से क्या ?

जीवन की यही रीत है प्रकृति ने सिखलाई 

जो भी आये सामने तू रुख मोड़ बढ़ जा आगे !

~ फ़िज़ा 

2 comments:

नूपुरं noopuram said...

फिज़ा कहती है .. howz the जोश ?
जवाब आता है...हाय सर !

Dawn said...

DHanyawaad

वक्त के संग बदलना चाहता हूँ !

  मैं तो इस पल का राही हूँ  इस पल के बाद कहीं और ! एक मेरा वक़्त है आता जब  जकड लेता हूँ उस पल को ! कौन केहता है ये पल मेरा नहीं  मुझे इस पल ...