के कोवीड भी इस अचूक से आ मिला
जैसे ही हल्ला हुआ के मेहमान आये है
नयी दुल्हन की तरह कमरे में बंद हो गये
स्वर्णयुग से नहीं थे जो छुईमुई बन जाते
काम-सपाटा ऑफिस का खत्म कर जल्दी
चले निद्रा को पकड़ने
या हो गए उसके हवाले
जो भी था
फिर तांडव रचा कोवीड ने अंदर
घुसा तो कहीं से भी हो मगर
स्वयं स्थिर हुआ
राज रचा मस्तिष्क पर जैसे कोई प्रयोगशाला
जो भी हो रहा था
सब कुछ नज़र आ रहा था
जाने क्यों सपना हकीकत
नज़र आ रहा था
मृत्यु ,
मरना सिर्फ इस लोक के लिए है
वहां तो ये एक दरवाज़ा है
जहाँ से निकले
तो फिर मैं न मैं रहूं
और
मैं भी न जानू मैं कौन हूँ ?
~ फ़िज़ा
4 comments:
सुंदर प्रस्तुति.
सन् 2021 दर्ज हो गया कोरोना काल का दशहत इतिहास पुनः जब सौ साल पर खंगाला जाएगा
मार्मिक लेखन
कोविड ने सबकी ही सोच पर प्रभाव डाला है ।।
मर्मस्पर्शी लेखन ।
Onkar: Aapka bahut shukriya, dhanyavad!
Vibha Rani Srivastava: Bilkul sahi farmaya aapne. Dhanyavad aapki sarahna aur protsahan ka.
Sangeeta Swaroop: Aapka behad shukriya, dhanyavad!
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